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कांटेदार' कटहल के बारे में ये रोचक तथ्य

 कटहल का जन्म स्थान दक्षिण-पश्चिमी भारत ही है और यही से वह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों और अफ्रीका तक पहुंचा।  कटहल को काटना थोड़ा झंझट भरा काम है, फिर भी इसके दीवाने देश भर में अलग-अलग स्वाद में इसका आनंद उठाते हैं।



कटहल उत्तरी भारत में सब्जी के रूप में ही ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है, जबकि दक्षिण भारत एवं पूर्वी और पश्चिमी तटवर्ती इलाके में पके कटहल का आनंद फल की तरह भी लिया जाता है। इसके चाहने वालों का मानना है कि इसके स्वाद में सेब, केला, आम और अनानास का अद्भुत संगम चखने को मिलता है। वनस्पतीशास्त्री इसे सब्जी नहीं, बल्कि फल की बिरादरी में ही शामिल करते हैं। दिक्कत यह है कि फल कहिए या सब्जी कटहल को हाथ लगाना जरा झंझट भरा काम है। इसकी त्वचा सख्त और कांटेदार होती है। फल खासा भरकम होता है और धारदार चाकू से काटने पर, जो सफेद चिपचिपा लसदार रस बाहर निकलता है, वह कटहल को साफ करना और छोटे टुकड़ों में काटना दुभर बना देता है। हथेली में तेल लगाकर इसे जल्दी काटने का कौशल अभ्यास से ही हासिल किया जा सकता है। हाल के दिनों में कटा कटाया कटहल अपनी जरूरत के अनुसार, सब्जी की दुकान से खरीदा जा सकता है और इसलिए इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी है


कटहल का अंग्रेजी नाम है ‘जैकफ्रूट’, जो पुर्तगाली ‘जैका’ से बना है, जो खुद मलयालम के ‘चक्का’ शब्द का बिगड़ा रूप है। ‘चक्काफलम’ अर्थात कटहल के दर्शन पहले पहल पुर्तगालियों ने केरल में ही किए थे और इससे बनने वाले व्यंजनों का वर्णन लगभग पांच सौ साल पुराने पुर्तगाली यात्रा वृतांतों में मिलता है। विद्वानों का मानना है कि कटहल का जन्म स्थान दक्षिण-पश्चिमी भारत ही है और यही से वह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों और अफ्रीका तक पहुंचा। यूं दक्षिण-पूर्व एशिया में कटहल की शक्ल से मिलता-जुलता ‘दुरियन’ नामक फल पाया जाता है, जो स्वादिष्ट तो होता है पर अपनी जन्मजात दुर्गंध के कारण विमानों में नहीं ले जाया जा सकता और इसी कारण स्थानीय पसंद ही बना रह गया है। 


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