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रक्षा बंधन कब से शुरू हुआ | रक्षाबंधन त्यौहार क्यों मनाया जाता है | रक्षाबंधन कब है |

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है | रक्षाबंधन त्यौहार क्यों मनाया जाता है (raksha bandhan 2021 date)

रक्षा बंधन कब से शुरू हुआ? रक्षा बंधन कब आने वाला है. ये सुनकर बहनों के चेहरों में खुशी प्रसन्नता झलक जाती है. और हो भी क्यूँ न ये भाई बहन का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है किसे की शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है. ये रक्षाबंधन त्यौहार इतना ज्यादा पवित्र होता है की इसका सम्मान पूरी दुनिभर में किया जाता है. रक्षाबंधन का भारत में अधिक महत्व है | तो आइए जानते हैं रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता हैं



रक्षा बंधन कब से शुरू हुआ | रक्षाबंधन त्यौहार क्यों मनाया जाता है | रक्षाबंधन कब है |


ऐसे में ही कोई होगा जिसे की ये न पता हो की रक्षा बंधन का अर्थ क्या है और इसे कैसे मनाया जाता है?

जहाँ पूरी दुनिभर में भाई बहन के रिश्ते को इतना सम्मान दिया जाता हो वहां पर भारत कैसे पीछे हट सकता है. भारत जिसे की संस्कृतियों की भूमि भी माना जाता है. वहीं तो इस रिश्ते को एक अलग ही पहचान दिया गया है. इसकी इतनी ज्यादा महत्व है की इसे एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है. 


2021 में रक्षाबंधन कब हैं शुभ मुहूर्त 

(raksha bandhan 2021 date)

रक्षा बंधन का त्यौहार कब है 22 अगस्त 2021

दिन सावन का आखिरी सोमवार

राखी बांधने का शुभ मुहुर्त सुबह 9:27 बजे से रात 9:11 बजे तक

कुल अवधि 11 घंटे 43 मिनट

रक्षा बंधन अपरान्ह मुहुर्त दोपहर 1:45 से 5:23

रक्षा बंधन प्रदोष मुहुर्त शाम 7:01 से 21:11

रक्षा बंधन त्यौहार में भाई बहन के प्यार को एक परंपरा के तरह मनाया जाता है. रक्षा बंधन एक अनोखी हिंदू त्यौहार है जिसे की केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुसरे देशों जैसे की Nepal में भी भाई बहन के प्यार का प्रतिक मानकर हर्ष उल्लाश से मनाया जाता है.

रक्षा बंधन त्यौहार को श्रावण माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. जो की अंग्रेजी कैलेंडर के अगस्त के महीने में आता है

 रक्षाबंधन त्यौहार के विषय में हम सभी को जानना चहिये इसलिए आज हम ने आप लोगों को रक्षा बंधन के बारे में जानकारी दे रहे हैं . आप लोगों को भी भारत के इस महान पर्व के विषय में पता चले साथ में रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है 

रक्षा बंधन क्या है

रक्षा बंधन का पर्व दो शब्दों के मिलने से बना हुआ है, “रक्षा” और “बंधन“. संस्कृत भाषा के अनुसार, इस पर्व का मतलब होता है की “एक ऐसा बंधन जो की रक्षा प्रदान करता हो”. यहाँ पर “रक्षा” का मतलब रक्षा प्रदान करना होता है उअर “बंधन” का मतलब होता है एक गांठ, एक डोर जो की रक्षा प्रदान करे.

ये दोनों ही शब्द मिलकर एक भाई-बहन का प्रतिक होते हैं. यहाँ ये प्रतिक केवल खून के रिश्ते को ही नहीं समझाता बल्कि ये एक पवित्र रिश्ते को जताता है. यह त्यौहार खुशी प्रदान करने वाला होता है वहीँ ये भाइयों को ये याद दिलाता है की उन्हें अपने बहनों की हमेशा रक्षा करनी है.

रक्षाबंधन क्यों मनाते है?

ये सवाल की रक्षा बंधन हम क्यूँ मानते हैं आप में से बहुतों के मन में जरुर होगा. तो इसका जवाब है की यह त्यौहार असल में इसलिए मनाया जाता है क्यूंकि ये एक भाई का अपने बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है. वहीँ इसे केवल सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो की इस पर्व की मर्यादा को समझते है वो इसका पालन कर सकते हैं.


इस पर्व पर, बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है. वहीँ वो भगवान से ये आशीर्वाद मांगती है की उसका भाई 

इस मौके पर, एक बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है. वहीँ वो भगवान से ये मांगती है की उसका भाई हमेशा खुश रहे और स्वस्थ रहे. वहीँ भाई भी अपने बहन को बदले में कोई तौफा प्रदान करता है और ये प्रतिज्ञा करता है की कोई भी विपत्ति आ जाये वो अपने बहन की रक्षा हमेशा करेगा.


साथ में वो भी भगवान से अपने बहन ही लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना करता है. वहीँ इस त्यौहार का पालन कोई भी कर सकता है फिर चाहे वो सगे भाई बहन हो या न हो. अब शायद आपको समझ में आ ही गया होगा की रक्षा बंधन क्यूँ मनाया जाता है.

रक्षा बंधन कब से शुरू हुआ |


रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन के त्यौहार का महत्व (Raksha bandhan Importance)

रक्षाबंधन भाई बहनो के बीच मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन बहन अपने भाइयों को रक्षाधागा बंधती हैं और भाई अपनी बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं. इस त्यौहार के दिन सभी भाई बहन एक साथ भगवान की पूजा आदि करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

और भाई भेंट के रूप में तोहफा देते हैं|


रक्षाबंधन पर कहानी

रक्षाबंधन सम्बंधित कुछ पौराणिक कथाएं जुडी हुईं है. इन कथाओं का वर्णन नीचे किया जा रहा है.

इंद्रदेव सम्बंधित मिथक :

भविष्यत् पुराण के अनुसार दैत्यों और देवताओं के मध्य होने वाले एक युद्ध में भगवान इंद्र को एक असुर राजा, राजा बलि ने हरा दिया था. इस समय इंद्र की पत्नी सची ने भगवान विष्णु से मदद माँगी. भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया. इस वलय को भगवान विष्णु ने पवित्र वलय कहा. सची ने इस धागे को इंद्र की कलाई में बाँध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की कामना की. इसके बाद अगले युद्द में इंद्र बलि नामक असुर को हारने में सफ़ल हुए और पुनः अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया. 

 


भगवत पुराण और विष्णु पुराण के आधार पर यह माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हरा कर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, तो बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्राह किया. भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गये. हालाँकि भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी को भगवान विष्णु और बलि की मित्रता अच्छी नहीं लग रही थी, अतः उन्होंने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया. इसके बाद माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भाई बना लिया. इस पर बलि ने लक्ष्मी से मनचाहा उपहार मांगने के लिए कहा. इस पर माँ लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करे कि भगवान विष्णु उसके महल मे रहेंगे. बलि ने ये बात मान ली और साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकारा.


संतोषी माँ सम्बंधित मिथक:

भगवान विष्णु के दो पुत्र हुए शुभ और लाभ. इन दोनों भाइयों को एक बहन की कमी बहुत खलती थी, क्यों की बहन के बिना वे लोग रक्षाबंधन नहीं मना सकते थे. इन दोनों भाइयों ने भगवान गणेश से एक बहन की मांग की. कुछ समय के बाद भगवान नारद ने भी गणेश को पुत्री के विषय में कहा. इस पर भगवान गणेश राज़ी हुए और उन्होंने एक पुत्री की कामना की. भगवान गणेश की दो पत्नियों रिद्धि और सिद्धि, की दिव्य ज्योति से माँ संतोषी का अविर्भाव हुआ. इसके बाद माँ संतोषी के साथ शुभ लाभ रक्षाबंधन मना सके


कृष्ण और द्रौपदी सम्बंधित मिथक:

महाभारत युद्ध के समय द्रौपदी ने कृष्ण की रक्षा के लिए उनके हाथ मे राखी बाँधी थी. इसी युद्ध के समय कुंती ने भी अपने पौत्र अभिमन्यु की कलाई पर सुरक्षा के लिए राखी बाँधी.


यम और यमुना सम्बंधित मिथक:

एक अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार, मृत्यु के देवता यम जब अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं गये, तो यमुना दुखी हुई और माँ गंगा से इस बारे में बात की. गंगा ने यह सुचना यम तक पहुंचाई कि यमुना उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं. इस पर यम युमना से मिलने आये. यम को देख कर यमुना बहुत खुश हुईं और उनके लिए विभिन्न तरह के व्यंजन भी बनायीं. यम को इससे बेहद ख़ुशी हुई और उन्होंने यमुना से कहा कि वे मनचाहा वरदान मांग सकती हैं. इस पर यमुना ने उनसे ये वरदान माँगा कि यम जल्द पुनः अपनी बहन के पास आयें. यम अपनी बहन के प्रेम और स्नेह से गद गद हो गए और यमुना को अमरत्व का वरदान दिया. भाई बहन के इस प्रेम को भी रक्षा बंधन के हवाले से याद किया जाता है.



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